Aditya L1Mission
चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब ISRO अब अपने अगले मिशन के लिए तैयार है। इस कड़ी में इसरो आज आदित्य-एल1 (Aditya L1Mission) मिशन को लॉन्च करेगी। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। इस से पहले देशभर की नजरे चांद पर टिकी हुई थी। लेकिन इसके बाद अब अब दुनिया की नजर आदित्य-एल1 मिशन पर होगी। लेकिन आखिर आदित्य-एल1 क्या है? मिशन के उद्देश्य क्या हैं? मिशन के घटक कौन-कौन से हैं? इसे कब और कहां से लॉन्च किया जाएगा? सूर्य का अध्ययन क्यों जरूरी है? आइए विस्तार से जानते है।
क्या है Aditya L1
चांद पर सफल लैंडिंग के बाद हम सभी ने Aditya L1 के बारें में काफी समय से सुनते हुए आ रहा है। लेकिन आखिर ये है क्या तो बता दें कि आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। लैग्रेंजियन को आसान भाषा में बताए तो यह एक अंतरिक्ष में बिंदु है। जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं।इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।
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मिशन के पीछे का उद्देशय
इस मिशन के पीछे के उद्देशय की बात की जाए तो आपको बता दें कि सूरज के बाहरी हिस्से के तापमान और विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी पाना है।
कहा से किया जाएगा मिशन को लॉन्च
आपको बता दें कि इसरो द्वारा इस मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। समय की बात की जाए तो बता दें कि 11 बजकर 50 मिनट तक इसे लॉन्च किया जाने वाला है।
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