बदलते हुए मौसम में सेहत का खयाल रखना काफी जरूरी होता जा रहा है। अगर हम ऐसा नहीं करते तो नतीजे के स्वरुप हम सभी को दवाईयों का सेवन करना पड़ सकता है। लेकिन इस बात का पता लगाना भी काफी मुश्किल होता है कि दुकानदार जो आपको दवाई दे रहा है। वह नकली है या फिर असली तो आपकी इस समस्या का हल अब आपको मिलने वाला है। कैसे आइए जानते है।
अब असली और नकली में आसानी से लगा पाएंगे फर्क
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कंपनियों को दवाईयों पर QR कोड लगाने का आदेश जारी किया है। वहीं सरकार द्वारा इस आदेश का पालन कंपनियों को 1 अगस्त से करना होगा यानी अब से आपको कई दवाईयों पर QR कोड दिखाई देंगे जिस से आप सभी असली या फिर नकली में आसानी से पहचान कर सकेंगे मिली जानकारी के अनुसार दवा कंपनियों को अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड या बार कोड लगाना अनिवार्य है। डिजीटल के जमाने में सरकार की ओर से लिया गया ये फैसला लोगों के लिए काफी कारगर साबित होने वाला है। ऐसा इसलिए क्यूंकी लोग इस बार कोड को स्कैन कर दवाईयों की एक्सपाइरी डेट या फिर मैन्यूफैक्चरिंग डेट का पता आसानी से लगा पाएंगे
नकली दवाओं पर लगेगी रोक
सरकार का यह फैसला नकली दवाईयों पर रोक लगाने के मक्सद से लाया गया है। वहीं इस बात की जानकारी सरकार ने पिछले साल 2022 नवंबर में सभी को दी थी। जिसके बाद अब इसे सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। आपको बता दें कि इस क्यूआर कोड वाले आदेश में 300 से अधिक कंपनियां जैसे एलिग्रा, शेलकेल, काल्पोल, डोलो और मेफ्टेल जैसे नाम शामिल है। वहीं अगर कंपनियां ऐसा करने से चूंकती है तो जुर्माने के साथ-साथ उन्हें पेनल्टी भी भुगनी पड़ सकती है।
जरूरी बात की मिलेगी जानकारी
वहीं इस QR कोड के पीछे लोगों को कई फायदे मिलने वाले है। बता दें कि इस कोड की मदद से ही उपभोगता दवा का प्रॉपर और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्यूफैक्चर्रर का नाम और पता, बैच नंबर, मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख, दवा की एक्सपायरी की तारीख और मैन्यूफैक्चर्रर का लाइसेंस नंबर का पता लगा सकते है।