Karnataka Election Result 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव रिजल्ट की तस्वीर सामने आ चुकी है। मतदाताओं ने अपने 38 सालों के रिवाज को बरकरार रखते हुए बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। अब कर्नाटक में बीजेपी ने पूरी मेहनत की, पूरा ज़ोर लगाया लेकिन जीत नहीं पाई, आइये आपको बताते हैं कांग्रेस की की जीत की क्या है वजह है।
कर्नाटक में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस ने जोर-शोर से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. इतना ही नहीं पार्टी ने बोम्मई सरकार को 40 परसेंट की सरकार और पे सीएम का नाम दिया. कांग्रेस के दिगज नेता से लेकर स्थानीय नेता तक सभी वोटिंग के पहले-पहले तक इस मुद्दे पर डटे रहे. यहां तक की पार्टी ने आखिरी समय में कर्नाटक में भ्रष्टाचार की रेट लिस्ट भी जारी की और भ्रष्टाचार के मुद्दे को स्थापित करने की कोशिश की. हालांकि बीजेपी भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को खारिज करती रही लेकिन कांग्रेस लगातार इन मुद्दों पर बीजेपी को घेरती रही.
पांच वादे: कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पांच गारंटी की घोषणा की और पूरे चुनाव में अपने कैंपेन में आम लोगों को इन गारंटी के बारे में बताया और कर्नाटक की जनता पर विश्वास बनाया. कांग्रेस ने ये दावा किया कि गृह ज्योति योजना के तहत सरकार बनने पर हर परिवार को 200 यूनिट तक बिजली फ्री देगी. गृह लक्ष्मी योजना के तहत परिवार चलाने वाली महिला को 2000 रुपये प्रति माह देगी, कांग्रेस सरकार में आते ही सभी महिलाओं के लिए फ्री बस सर्विस होगी. इतना ही नहीं युवाओं पर फोकस करते हुए पार्टी ने वादा किया कि वह ग्रेजुएट युवाओं को 3000 रुपये प्रतिमाह देगी. वहीं डिप्लोमा होल्डर्स को 1500 रुपये प्रति माह देगी. कांग्रेस ने अन्न भाग्य योजना के तहत बीपीएल परिवारों को हर महीने 10 किलो प्रति व्यक्ति चावल देगी. पार्टी के लिए इन वायदों की घोषणा वोट में बदला, जिसका असर रिजल्ट पर साफ दिख रहा है. कांग्रेस के इन वायदों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी कल्चर कहकर आलोचना की. लेकिन कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद राहुल गांधी बोले “हम अपने पांच वादों को कैबिनेट की पहली बैठक में पूरा करेंगे”
एकजुटता दिखाना: कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी नेताओं को एकजुट रखना था लेकिन कोंग्रस इसपर खरी उतरी. पार्टी ने इसकी कोशिश चुनाव से करीब एक साल पहले ही शुरू कर दी थी. राज्य में मुख्य तौर पर पार्टी के दो धड़े हैं एक पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का और दूसरा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का लेकिन पार्टी ने पहली बार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोनों ही नेताओं को साथ रखा. शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों राहुल गांधी के साथ कदम मिलाते हुए नजर आए. इतना ही नहीं चुनाव कैंपेन के दौरान भी दोनों नेताओं की पोस्टर से लेकर मंच तक हर जगह पर मौजूदगी दिखी. यही नहीं वोटिंग से ठीक पहले दोनों नेताओं ने एक इंटरव्यू का वीडियो भी जारी किया. इस वीडियो में सिद्धारैमया और शिवकुमार एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं और जवाब दे रहे हैं.कांग्रेस ने कोशिश कि मतदाताओं में चुनाव बाद लड़ाई और सरकार में अस्थिरता का संदेश न जाए.
अग्रेसिव प्रयास: कांग्रेस ने एगजुटता दिखाने में कामयाब रही ही लेकिन एकजुटता के साथ कांग्रेस काफी ज़्यादा अग्रेसिव भी नजर आई. वार्ड से लेकर राजधानी और सोशल मीडिया तक में पार्टी अपने मुद्दों को लेकर अडिग नजर आई. सोनिया गांधी ने खुद कई सालों बाद विधानसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में रैली की. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी भी लगातार राज्य में डटे रहे. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने 11 दिनों में 23 रैलियां और 2 रोड शो किए और अगर बात प्रियंका गांधी की की जाये तो उन्होंने 9 दिनों में 15 रैलियां और 11 रोड शो किए. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 15 दिनों में 32 रैलियां की और एक रोड शो किया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अपने करीबियों को राज्य में भेजा.
स्थानीय मुद्दों पर फोकस रखना: एक और बात जिसपर कांग्रेस ने फोकस रखा वो था स्थानीय मुद्दे पर रहा. अडानी-हिंडनबर्ग मामले, राहुल गांधी की अयोग्यता, ईडी-सीबीआई की कार्रवाई, सांप्रदायिक मुद्दों जैसे मसलों को कांग्रेस ने काम और महंगाई, भ्रष्टाचार, लॉ एंड ऑर्डर और आरक्षण जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ने ज़ोर दिया और बीजेपी को घेरा. पार्टी ने कई बड़े वादे किये और केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. वहीं कांग्रेस ने आखिरी वक्त में पीएफआई और बजरंग दल जैसे संगठनों को भी बैन करने का वादा किया. इस मसले पर बीजेपी हमलावर हो गई और बजरंग दाल को बजरंगबली यानि हनुमान जी के साथ जोड़ कर एक और मुद्दा बना दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा जैसे शीर्ष नेताओं से लेकर स्थानीय नेताओं तक ने इसे बजरंगबली से जोड़कर कांग्रेस से सामने संकट खड़े करने की कोशिश की लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने नया दाव खेलकर जवाब में पूरे राज्य में जगह-जगह हनुमान मंदिर बनाने के वायदे कर दिए.
BJP नेताओं को अपनाना: कांग्रेस ने बीजेपी से नाराज चल रहे कई नेताओं को पार्टी से जोड़ा जिन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप-मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी और एस भी शामिल हैं और इन दोनों नेताओं की अछि पकड़ मणि जाती है, हालांकि इन चुनावों में शेट्टार को हार का सामना करना पड़ा है.लेकिन बीजेपी के लिए उनके नाराज़ नेताओं का कांग्रेस में शामिल हो जानानुकसानदेह साबित हुआ और कर्णाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपना झंडा लहराया और कर्नाटक विधानसभा में 224 विधानसभा सीटों पर 137 सीट्स अपने नाम की।